कक्षा-10 द्वितीयः पाठः
बुद्धिर्बलवती सदा (PART-02)
इति श्रुत्वा व्याघ्रमारी काचिदियमिति मत्वा व्याघ्रो भयाकुलचित्तो नष्टः । निजबुद्ध्या विमुक्ता सा भयाद् व्याघ्रस्य भामिनी । अन्योऽपि बुद्धिमाल्लोके मुच्यते महतो भयात् ॥ भयाकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कश्चित् धूर्तः शृगालः हसन्नाह - " भवान् कुतः भयात् पलायितः ? " व्याघ्रः- गच्छ , गच्छ , जम्बुक ! त्वमपि किञ्चिद् गूढप्रदेशम् । यतो व्याघ्रमारीति या शास्त्रे श्रूयते तयाहं हन्तुमारब्धः परं गृहीतकरजीवितो नष्टः शीघ्रं तदग्रतः । शृगालः- व्याघ्र ! त्वया महत्कौतुकम् आवेदितं यन्मानुषादपि बिभेषि ? व्याघ्रः- प्रत्यक्षमेव मया सात्मपुत्रावेकैकशो मामत्तुं कलहायमानौ चपेटया प्रहरन्ती दृष्टा । अन्वयः - सा भामिनी निजबुद्धया व्याघ्रस्य भयात् विमुक्ता । लोके अन्यः अपि बुद्धिमान् महतो भयात् मुच्यते ।
शब्दार्थाः - व्याघ्रमारी - ( व्याघ्र मारयति इति ) वाघ को मारने वाली । काचिदियमिति - काचित् + इयम् + इति । मत्वा - ( मन् + क्त्वा ) मानकर । भयाकुलचित्तः -- ( भयेन आकुलं चित्तं यस्य सः ) भय से व्याकुल मन वाला । भामिनी - सुन्दर स्त्री । भयाकुलम् - ( भयेन आकुलम् ) भय से व्याकुल । बुद्धिमॉल्लोकं -
बुद्धिमान् + लोक । बुद्धिमान् - बुद्धि + मतुप् । हसन्नाह - ( हसन् + आह
) हँसते हुए कहा । गूढप्रदेशम् - ( गूढं प्रदेशम् ) गुप्त स्थान पर । हन्तुम् - मारने के लिए । आरब्धः ( आ + रभ् । क्त ) आरम्भ किया गया । गृहीतकरजीवितो -
हथेली पर जीवन लिया है जिसने । तदग्रतः - ( तद्
+ अग्रत :) उसके सामने से । आवेदितम् कहा गया । प्रत्यक्षम् - ( अक्षणः प्रति ) आँखों के सामने । सात्मपुत्रावेकैभ्यो - सा . आत्मपुत्री एकेभ्यः । मामत्तुम् - माम् + अत्तुम् । अत्तुम् - ( अद् + तुमुन् ) खादितुम् । आत्मपुत्रौ - ( आत्मनः पुत्रौ ) अपने दोनों पुत्रों को । कलहायमानौ - झगड़ा करते हुये को । प्रहरन्ती-
प्रहार करती हुयी ।
हिन्दी अनुवाद - यह सुनते ही बाघ ने सोचा कि यह कोई व्याघ्रमारी है और भय से व्याकुल होकर वहाँ से भाग गया । वह रूपवती स्त्री अपनी बुद्धि से बाघ के डर से मुक्त हो गयी । इस संसार में अन्य बुद्धिमान् भी इसी प्रकार बड़े से बड़े भय से मुक्ति पा लेते हैं । भय से व्याकुल उस बाघ को देखकर किसी धूर्त सियार ने हँसते हुए कहा -'आप कहाँ से डर कर भागे जा रहे हैं ? बाघ - जाओ , जाओ , सियार ! तुम भी किसी गुप्त स्थान पर छिप जाओ । क्योंकि जिस व्याघ्रमारी की बात शास्त्रों में सुनी जाती है , उसके द्वारा मैं मारे जाने को आरम्भ किया गया ( उसने मुझे मारना चाहा ) । मैं हथेली पर प्राण लेकर वहाँ से शीघ्र ही भाग आया । सियार - तुम्हारे द्वारा यह बड़ी आश्चर्यजनक बात बतायी गयी है कि तुम मनुष्यों से भी डरते हो । बाघ - मेरी आँखों के सामने उसने मुझे खाने के लिए झगड़ा करते हुये अपने दोनों पुत्रों को एक - एक कर चाँटा मारा । ( मेरे द्वारा वह प्रत्यक्ष ही मुझे खाने के लिए झगड़ा करते हुये अपने दोनों पुत्रों को एक - एक कर चाँटा मारती हुयी देखी गयी । )
अभ्यासप्रश्नाः
( 1 ) एकपदेन उत्तरत –
( i ) भामिनी कया विमुक्ता ?
( ii ) केन महत्कौतुकम् आवेदितम् ?
( iii ) केषु व्याघ्रमारी श्रूयते ?
( iv ) सा स्त्री कया स्वपुत्रौ प्रहरन्ती आसीत् ?
( 2 ) पूर्णवाक्येन
उत्तरत
( i ) व्याघ्रः किं मत्वा नष्ट :?
( ii ) लोके बुद्धिमान् कस्मात् मुच्यते ?
( iii ) हसन् शृगालः किम् आह ?
( iv ) व्याघ्रण प्रत्यक्ष का दृष्टा ?
( 3 ) यथानिर्देशं प्रश्नान् उत्तरत
( i ) ' महतो भयात् ' इत्यनयोः पदयोः किं विशेषणपदम् ?
( ii ) ' परोक्षम् ' इत्यस्य विलोमपदं किम् ?
( iii ) ' खादितुम् ' इत्यस्य समानार्थकपदं किम् ?
( iv ) ' भवान् कुतः भयात् पलायितः ' इति वाक्ये ' भवान् ' इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?
October 09, 2020 4:55 pm
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