कक्षा नवमी गोदोहनम् कायर्पत्रकः
( द्वितीयं दृश्यम् )
चंदन: -- अस्तु । गच्छ । सखिभिः सह धमर्यात्रया आनिन्दता च भव ।
अहं सवर्मपि परिपालयिष्यामि । शिवास्ते सन्तु पन्थानः।
चंदन-- ठीक है, जाओ और सहेलियों के साथ धर्म यात्रा के द्वारा आनंदित हो जाओ, मैं सब कुछ संभाल लुङ्गा। तुम्हारा प्रवास मंगलमय हो।
चंदन: -- मल्लिका तु धमर्यात्रायै गता । अस्तु । दुग्धदोहनं कृत्वा ततः स्वप्रातराशस्य प्रबन्धं करिष्यामि । ( स्त्रीवेषं धृत्वा , दुग्धपात्रहस्तः नन्दिन्या: समीपं गच्छति )
चंदन -- मल्लिका तो धमर् यात्रा के लिए गई हुई है। ठीक है दूध दुहकर उसके बाद अपने लिए नाश्ते का प्रबंध करूँगा।
( स्त्री के वेश को धारण कर दूध का पात्र हाथ में लिए हुए नंदनी के पास जाने लगता है। )
उमा -- मातुलानि ! मातुलानि ! उमा -- मामी! मामी!
चंदन: -- उमे ! अहं तु मातुलः । तव मातुलानि तु गङ्गास्नानार्थं काशीं गता अस्ति । कथय ! किं ते प्रियं करवाणि ?
चंदन -- हे उमा मैं तो मामा हूं। तुम्हारी मामी तो गंगा स्नान के लिए काशी गई हुई है । कहो, तुम्हारे लिए क्या करूं ?
उमा -- मातुल ! पितामहः कथयति , मासानन्तरम् अस्मत् गृहे महोत्सवः भविष्यति । तत्र त्रिशत - सेटकमितं दुग्धम् अपेक्षते ।
एषा व्यवस्था भवद्भि: करणीया ।
उमा – मामा ! दादा जी कह रहे है, एक महीने बाद हमारे घर में महोत्सव होगा, वहां 300 लीटर दूध लग सकता है, यह व्यवस्था आप के द्वारा ही होनी चाहिए।
चंदन: -- ( प्रसन्नमनसा ) त्रिशत – सेटकपरिमितं दुग्धम् ! शोभनम् । दुग्धव्यवस्था भविष्यति एव इति पितामहं प्रति त्वया वक्तव्यम् ।
चंदन -- (प्रसन्न मन से ) 300 लीटर दूध! बढिया! दूध की व्यवस्था होगी ही ऐसा दादाजी को तुम बता देना।
उमा -- धन्यवादः मातुल ! याम्यधुना । ( सा निगर्ता )
उमा -- धन्यवाद मामा! अब मैं चलती हूं। (वह चली जाती है )
अभ्यास
1. एक पदेन उत्तरत-
(i) का धर्म यात्रायै गता?
(ii) मल्लिका गंगास्नानार्थं कुत्र गता अस्ति?
(iii) चदनः स्त्रीवेषं धृत्वा , दुग्धपात्रहस्तः कस्या: समीपं गच्छति?
2. पूर्ण वाक्येन उत्तरत-
(i) मासानन्तरम् कति सेटकमितं दुग्धम् अपेक्षते?
(ii) पितामहः किं कथयति?
3. निर्देशनुसारं उत्तरत-
(i) ' दुग्धपात्रम् ' इत्यनयोः किं विशेषण पदम ?
(ii) ‘
आगता ‘ इत्यस्य विलोम पदं
चिनतु |