WORKSHEET-08 CLASS-IX
तुमुन्, क्त्वा एवं ल्यप् प्रत्यय
Ø ‘तुमुन्’ प्रत्यय धातु (क्रिया) के बाद ‘के लिए’ / ‘को’ अर्थ में प्रयुक्त होता है। प्रत्यय लगाने के बाद ‘तुमुन्’ में से ‘तुम्’ ही शेष बचता है।
उदाहरण- (हस्+तुमुन्) ‘हसितुम्’ = ‘हँसने
के लिए’ या ‘हँसने को’।
Ø ‘क्त्वा’ एवं ‘ल्यप्’ प्रत्यय धातु (क्रिया) के बाद ‘कर’ अर्थ में प्रयुक्त
होता है। प्रत्यय लगाने के बाद ‘क्त्वा’ का ‘त्वा’ और ‘ल्यप्’ का ‘य’ शेष रहता है।
उदाहरण- (हस्+क्त्वा) ‘हसित्वा’ =
हँसकर
(वि+हस्+ल्यप्) ‘विहस्य’ =
हँसकर
(नोट :- धातु के पहले उपसर्ग न होने पर ‘क्त्वा’ और उपसर्ग होने पर ‘ल्यप्’
प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।)
उपसर्ग |
धातु |
तुमुन् |
क्त्वा |
ल्यप् |
सम् |
पठ |
पठितुम् |
पठित्वा |
सम्पठ्य |
वि |
हस् |
हसितुम् |
हसित्वा |
विहस्य |
प्र |
धाव् |
|
|
प्रधाव्य |
वि |
चल् |
|
|
|
आ |
खाद् |
|
|
|
प्र |
क्रीड् |
|
|
|
नि |
पत् |
|
|
|
सम् |
भ्रम् |
|
|
|
सम् |
रक्ष् |
|
|
संरक्ष्य |
वि |
नश् |
|
नष्ट्वा |
|
आ |
लिख् |
लेखितुम् |
लिखित्वा |
आलिख्य |
प्र |
नम् |
नन्तुम् |
नत्वा |
प्रणम्य |
आ |
गम् |
|
|
|
सम् |
दृश् |
द्रष्टुम् |
दृष्ट्वा |
सन्दृश्य |
सम् |
स्पृश् |
|
|
संस्पृश्य |
सम् |
प्रच्छ् |
प्रष्टुम् |
पृष्ट्वा |
संपृच्छ्य |
अनु |
भू / अस् |
भवितुम् |
भूत्वा |
अनुभूय |
उप |
कृ |
कर्तुम् |
कृत्वा |
उपकृत्य |
वि |
स्मृ |
|
|
|
प्र |
हृ |
|
|
|
वि |
ज्ञा |
ज्ञातुम् |
ज्ञात्वा |
विज्ञाय |
वि |
स्ना |
|
|
|
आ |
घ्रा |
|
|
|
प्र |
दा |
|
दत्त्वा |
|
प्र |
स्था |
|
स्थित्वा |
|
नि |
पा |
|
पीत्वा |
|
प्र |
कथ् |
कथयितुम् |
कथयित्वा |
प्रकथ्य |
वि |
चिन्त् |
|
चिन्तयित्वा |
|
सम् |
भक्ष् |
भक्षयितुम् |
|
|
वि |
रच् |
|
रचयित्वा |
|
परि |
त्यज् |
त्यक्तुम् |
त्यक्त्वा |
परित्यज्य |
सम् |
पच् |
पक्तुम् |
पक्त्वा |
सम्पच्य |
वि |
भज् |
|
|
|
उप |
भुज् |
भोक्तुम् |
भुक्त्वा |
|
वि |
मुच् |
|
|
|
आ |
नी |
नेतुम् |
नीत्वा |
आनीय |
वि |
भी |
|
|
|
सम् |
श्रु |
श्रोतुम् |
श्रुत्वा |
संश्रुत्य |
सम् |
ग्रह् |
ग्रहीतुम् |
गृहीत्वा |
संगृह्य |
September 16, 2020 9:16 am
बहुत बहुत धन्यवाद सर