कक्षा नवमी गोदोहनम् कायर्पत्रकः
( तृतीयं दृश्यम् )
चन्दनः -- ( प्रसन्नो भूत्वा , अङ्गुलिषु गणयन् ) अहो ! सेटक - त्रिशतकानि पयांसि ! अनेन तु बहुधनं लप्स्ये । ( नन्दिनीं दृष्ट्वा ) भो नन्दिनीं ! तव कृपया तु अहं धनिकः भविष्यामि ।
( प्रसन्नः सः धेनोः बहुसेवां करोति )
चंदन-- ( प्रसन्न मन से, उंगिलयों में गिनते हुए ) अरे 300 लीटर दूध! इससे तो बहुत सारा धनन प्राप्त होगा। ( नंदिनी को देखकर ) अरे नंदिनी ! तुम्हारी कृपा से मैं धनवान बन जाऊंगा ।
( प्रसन्न हुआ वह गाय की बहुत सेवा करता है। )
चन्दनः -- ( चिन्तयति ) मासान्ते एव दुग्धस्य आवश्यकता भवति । यदि प्रतिदिनं दोहनं करोमि तर्हि दुग्धं सुरक्षितं न तिष्ठित । इदानीं किं करवाणि ? भवतु नाम मासान्ते एव सम्पूणर्तया दुग्धदोहनं करोमि ।
चंदन -- (सोच रहा है। ) महीने के अंत में ही दूध की आवश्यकता होगी। यदि हर रोज दोहन करता हूँ तो दूध सुरक्षित नहीं रहेगा ।अब क्या करूं? ठीक है, महीने के अंत में ही सारे दूध का दोहन करूंगा।
( एवं क्रमेण सप्तदिनानि व्यतीतानि । सप्ताहान्ते मल्लिका प्रत्यागच्छति )
( इस तरह 7 दिन बीत जाते हैं सप्ताह के अंत में मल्लिका वापस आती है )
मल्लिका -( प्रविश्य ) स्वामिन् ! प्रत्यागता अहम् ।आस्वादय प्रसादम्।
( चन्दनः मोदकानि खादति वदति च )
मल्लिका -- (प्रवेश करके) स्वामी! मै आ गई हूं। प्रसाद खाओ।
( चंदन लड्डुओं को खाता है, और बोलता है। )
चन्दनः -- मिल्लके ! तव यात्रा तु सम्यक् सफला जाता ? काशीविश्वनाथस्य कृपया प्रियं निवेदयामि ।
चंदन -- मल्लिका तुम्हारी यात्रा अच्छी सफल हुई? काशी विश्वनाथ की कृपा से प्रिय बात बताता हूँ
मिल्लका -- ( साश्चयर्म् ) एवम् । धर्मयात्रातिरिक्तं प्रियतरं किम् ?
मिल्लका -- ( आश्चर्य के साथ ) ऐसा ! धर्म यात्रा के अलावा और क्या प्रिय होगा ?
चन्दनः -- ग्रामप्रमुखस्य गृहे महोत्सवः मासान्ते भविष्यति । तत्र त्रिशत - सेटकमितं दुग्धम् अस्माभि: दातव्यम् अस्ति ।
चंदन -- गांव के मुखिया के घर में महीने के अंत में महोत्सव होगा। हमारे द्वारा वहां 300 लीटर दूध देना है।
मिल्लका-- किन्तु एतावन्मानं दुग्धं कुतः प्राप्स्यामः ।
मिल्लका -- लेकिन इतनी मात्रा में दूध कहां से मिलेगा?
चन्दनः-- विचारय मल्लिके ! प्रितिदनं दोहनं कृत्वा दुग्धं स्थापयामः चेत् तत् सुरिक्षतं न तिष्ठित । अत एव दुग्धदोहनं न क्रियते । उत्सवदिने एव समग्रं दुग्धं धोक्ष्यावः।
चंदन -- सोचो मल्लिका ! हर रोज दोहन करके दूध रखेंगे, तो वह सुरिक्षत नहीं रहेगा। इसलिए दूध का दोहन नहीं करते हैं। उत्सव के दिन ही सारा दूध दुहेंगे।
मल्लिका -- स्वामिन् ! त्वं तु चतुरतमः । अत्युत्तमः विचारः । अधुना दुग्धदोहनं विहाय केवलं नन्दिन्याः सेवाम् एव करिष्यावः । अनेन अधिकाधिकं दुग्धं मासान्ते प्राप्स्यावः ।
मल्लिका – स्वामी ! तुम तो बहुत चतुर हो। बहुत अच्छा विचार है । अब तो दूध का दोहन छोड़कर मात्र नंदनी की सेवा ही करेंगे। इससे ज्यादा से ज्यादा दूध महीने के अंत में पाएंगे ।
( द्वावेव धेनोः सेवायां निरतौ भवतः । अस्मिन् क्रमे घासादिकं गुडादिकं च भोजयतः । कदाचित् विषाणयोः तैलं लेपयतः तिलकं धारयतः , रात्रौ नीराजनेनापि तोषयतः )
(दोनों ही गाय की सेवा में लगे रहते हैं। इसी क्रम में घास और गुड़ आदि को खिलाते हैं। कभी उस गाय के सींग पर तेल लगाते हैं। तिलक लगाते हैं, साथ में आरती से भी संतुष्ट करते हैं। )
चन्दनः-- मल्लिके ! आगच्छ । कुम्भकारं प्रति चलावः । दुग्धार्थं पात्रप्रबन्धोऽपि करणीयः ।
( द्वावेव निगर्तौ )
चंदन -- मल्लिका आओ कुम्हार के घर की ओर चलते है। दूध के लिए बतर्न की व्यवस्था भी करनी चाहिए (दोनों ही निकल जाते हैं।)
अभ्यास
1. एक पदेन उत्तरत-
(i) मासांते
कस्य आवश्यकता भवति?
(ii) चंदनः
कस्या: बहुसेवां करोति??
(iii) कति दिनान्ते मल्लिका प्रत्यागच्छति??
2. पूर्ण वाक्येन उत्तरत-
(i) ग्राम
प्रमुखस्य गृहे मासांते किं भविष्यति?
(ii) दुग्धपात्रस्य
प्रबंधनाय तौ कस्य प्रति गच्छतः( चलतः)?
3. निर्देशनुसारं उत्तरत-
(i) संधि विच्छेद कुरुत
(a) नीराजनेनापि (b)
अत्युत्तमः
(c) घासादिकम् (d) अधिकाधिकम्
(ii) ग्रामप्रमुखस्य
इत्यानयोः किं विशेषण पदं?
(iii) ‘ रात्रौ ‘ इत्यस्य विलोम पदम् लिखतु।
October 13, 2020 1:29 pm
Diya Yadav